जलवायु प्रेरित चरम घटनाओं के बीच, कॉप30 को कार्यान्वयन कॉप होना चाहिए: ब्राजील दूतावास-सीईईडब्ल्यू संवाद में विशेषज्ञों ने एकजुटता और ग्लोबल साउथ के नेतृत्व पर जोर
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Yugvarta
, Sep 02, 2025 07:50 PM 0 Comments
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Delhi : नई दिल्ली, 2 सितंबर 2025: ब्राजील के बेलेम में संयुक्त राष्ट्र वार्षिक जलवायु सम्मेलन कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP30) के आयोजन में 70 दिन से भी कम समय के साथ, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) और ब्राजील के दूतावास ने आज नई दिल्ली में 'कॉप 30 कन्वर्सेशंस: द अल्केमी ऑफ सॉलिडेरिटी' आयोजित किया। पूरे दिन चलने वाले इस संवाद को विश्व बैंक, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (CDRI), इंडिया क्लाइमेट कोलैबोरेटिव, जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी और प्लेटाफॉर्मा सीआईपीओ के साथ साझेदारी में आयोजित किया गया।
यह सम्मेलन श्री आंद्रे अराना कोया द लागो, नामित अध्यक्ष, कॉप30; सुश्री एना टोनी, सीईओ,
_भारत, ब्राजील, चीन, मलेशिया, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका के राजनयिकों, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों ने COP30 से पहले जलवायु वित्त, सतत ईंधन और जलवायु अनुकूलन पर विचार-विमर्श किया_
कॉप30; डॉ. जोनाथन पर्शिंग, उत्तरी अमेरिका के लिए कॉप30 के विशेष दूत; श्री केनेथ फेलिक्स हैचिंस्की डा नोब्रेगा, भारत व भूटान में ब्राजील के राजदूत; डॉ. अरुणाभा घोष, सीईईडब्ल्यू के संस्थापक-सीईओ और दक्षिण एशिया के लिए कॉप30 के विशेष दूत; और डॉ. अंशु भारद्वाज, कार्यक्रम निदेशक, नीति आयोग; और एंबेस्डर डॉ. मोहन कुमार, प्रोफेसर एवं डीन, स्ट्रेटजिक एंड इंटरनेशनल इनिशिएटिव, जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी जैसे वरिष्ठ व्यक्तियों को एक साथ लेकर आया। सभी लोगों ने यह रेखांकित किया कि एकजुटता -वित्त, नवाचार, कूटनीति और लचीलेपन के माध्यम से - बाकू से बेलेम और उससे आगे तक वैश्विक जलवायु महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाए, और भारत ग्लोबल साउथ के लिए रणनीतियों की अगुवाई करे।
परिचर्चाओं में ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने में भारत की प्रमुख भूमिका को रेखांकित किया गया। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का नेतृत्व करने से लेकर ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस के संचालन तक, भारत ने लगातार घरेलू नवाचार को अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ जोड़ा है। प्रतिभागियों ने कहा कि भारत की उत्सर्जन घटाने के लिहाज से कठिन क्षेत्रों में विस्तार देने योग्य, समावेशी समाधानों को तैयार करने की क्षमता इसे एक ऐसी जलवायु संरचना के निर्माण का केंद्र बना देती है, जो महत्वाकांक्षी और न्यायसंगत दोनों हो।
आंद्रे अराना कोया द लागो, कॉप30 के नामित अध्यक्ष, ने कहा, “जैसे-जैसे हम बेलेम (कॉप30) के नजदीक आ रहे हैं, हमें यह मानना होगा कि विभिन्न हितधारकों - नागरिक समाज, विकासशील देश, विकसित देश और व्यवसाय - सभी की अपनी-अपनी अपेक्षाएं हैं। कॉप30 के लिए चुनौती यह है कि एक ऐसा संतुलन खोजा जाए, जो जलवायु प्रशासन को मजबूत बनाए और इसे उस दायरे से आगे बढ़ाए, जो अक्सर एक सीमित और नौकरशाही की प्रक्रिया रही है। इस कॉप को ऐसे कर्ताओं के लिए अपने दरवाजे खोलने चाहिए, जो कार्यान्वयन के लिए बहुत आवश्यक होंगे। हमारे पास पहले से ही 500 से अधिक पहल और प्रतिज्ञाएं मौजूद हैं, जिनमें से लगभग 300 अभी भी सक्रिय हैं। बेलेम को कार्यान्वयन का कॉप होना चाहिए, जहां हम इन पहलों को समाधानों के एक सच्चे भंडार के रूप में प्रदर्शित करें। यह सिर्फ इस बारे में नहीं है कि क्या बातचीत हुई है, बल्कि एक कार्य योजना के माध्यम से परिणामों को प्रदर्शित करने के बारे में है, जो एकजुटता को व्यवहार में बदलती है।”
सुश्री एना टोनी, सीईओ, कॉप 30, ने कहा, “कॉप30 चार स्तंभों पर टिका है - शिखर सम्मेलन, बातचीत, एक्शन एजेंडा और कार्यान्वयन के लिए जुटाना। पेरिस समझौते के बाद एक दशक की बातचीत और बाकू में रूलबुक तैयार होने के बाद, अब असली तात्कालिकता कार्यान्वयन है। इसके लिए न केवल राजनयिकों, बल्कि ऊर्जा, परिवहन, कृषि और अन्य मंत्रियों की भी आवश्यकता है, जो जानते हैं कि प्रगति क्यों पिछड़ रही है - चाहे वित्त, क्षमता या जमीन के कारण हो। इस कॉप को 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक लक्ष्य पर सहमत होकर, प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान को सक्षम करके, और वादों से उसे लागू करने की दिशा में बढ़कर एकजुटता को मजबूत बनाना चाहिए। ब्राजील की G20 अध्यक्षता के आधार पर और दक्षिण अफ्रीका की ओर बढ़ते हुए,कॉप30 को कार्यान्वयन कॉप होना चाहिए, वित्त को शमन और अनुकूलन दोनों से जोड़ना चाहिए।”
डॉ. जोनाथन पर्शिंग, उत्तरी अमेरिका के लिए कॉ30 के विशेष दूत*, ने कहा, "पेरिस में बातचीत की जो प्रक्रिया शुरू हुई थी, वह अब बेलेम में लागू करने की प्रक्रिया में बदल रही है। हम लक्ष्यों को तय करने से उन्हें पूरा करने की दिशा बढ़ रहे हैं। इसके लिए एक व्यापक गठबंधन - सरकारें, व्यवसाय, निवेशक, विश्वविद्यालय, उपभोक्ता, नागरिक समाज और क्षेत्रीय प्राधिकरण - की जरूरत है, जो एक साथ मिलकर कार्रवाइयों के लिए जरूरी संसाधन और क्षमता को लाते हैं। सफलता कार्रवाई के जरिए विश्वास को बनाने पर निर्भर करेगी, एक घोषणा पर नहीं, बल्कि विभिन्न देशों, शहरों और समुदायों के बीच हजारों प्रयासों पर। कॉप30 की यही जटिलता और अवसर है: कार्यान्वयन को व्यापक रूप से स्थापित करना और इसे टिकाऊ बनाना।"
सत्र का संचालन करते हुए, सीईईडब्ल्यू के संस्थापक-सीईओ और दक्षिण एशिया के लिए कॉप30 के विशेष दूत, डॉ. अरुणाभा घोष* ने कहा, "वैश्विक सहयोग के लिए एक मुश्किल वर्ष में, यह संवाद इस बात की पुष्टि करता है कि एकजुटता आवश्यकता है - और उपयुक्त कर्ताओं के साथ अभी भी संभव है। भारत और ब्राजील इस समय के केंद्र में खड़े हैं, जो न केवल बातचीत, बल्कि समाधानों के ढांचे को भी आकार दे रहे हैं। जलवायु नेतृत्व केवल एक व्यक्ति के हाथों से पहना जाने वाला ताज नहीं है; बल्कि इसमें अच्छी इच्छा और एक साझे उद्देश्य के साथ सामूहिकता होनी चाहिए। हम द्विपक्षीय साझेदारियां और काम करने के लिए स्मार्ट गठबंधन कर सकते हैं। किसी काम को पूरा करना ही बहुपक्षवाद में विश्वास का फिर से र्निर्माण करेगा। बेलेम के रास्ते को दिखाना चाहिए कि बहुपक्षवाद चर्चा से आगे बढ़कर परिणाम देने तक पहुंच सकता है।"
इस अवसर पर सीईईडब्ल्यू ने अपना नया अध्ययन "इन्क्रीजिंग क्लाइमेट इन्वेस्टमेंट इन डिवेलपिंग कंट्रीज़: द बाकू टू बेलेम रोडमैप टू 1.3टी" जारी किया। कॉप29 के उच्च-स्तरीय लक्ष्यों को आगे बढ़ाते हुए, यह अध्ययन 2030 तक सालाना 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने के लिए छह-सूत्रीय ढांचे की जानकारी देता है, जिसमें नीतियों और वित्तीय प्रणालियों को मजबूत करना, वित्तीय स्थान को खाली करना, अनुकूलन के लिए रियायती पूंजी को बढ़ाना, शमन के लिए सार्वजनिक वित्त को लक्षित करना, विकास वित्त संस्थानों को सशक्त बनाना, और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है।
सम्मेलन में इस पर भी चर्चा हुई कि प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सहायक व्यवस्थाओं और सभी देशों में विस्तार देने योग्य समाधानों के साथ जलवायु कार्रवाई को कैसे वायुमंडल को एक वैश्विक साझा संपत्ति के रूप में लेना चाहिए। सत्रों ने रेखांकित किया कि कॉप30 निश्चित तौर पर कार्यान्वयन, 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के वित्तपोषण के रोडमैप पर चर्चा, सतत ईंधन को बढ़ावा देने में ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस की भूमिका, जलवायु कार्रवाई में पारदर्शिता और पहुंच में बदलाव के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की क्षमता और ग्लोबल साउथ में लचीले बुनियादी ढांचे की रणनीतियों पर चर्चा का अवसर होना चाहिए।
इस बातचीत में अंतरराष्ट्रीय जलवायु क्षेत्र के विभिन्न व्यक्तियों ने भी योगदान दिया। इनमें विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रॉस्परईटीई, क्लाइमेटवर्क्स फाउंडेशन, रिलायंस, जीआईजेड, गेल, यूएन-हैबिटेट और प्लेटफॉर्मा सीआईपीओ के प्रतिनिधि शामिल रही। चीन*, मलेशिया*, नेपाल*, दक्षिण अफ्रीका*, श्रीलंका, अजरबैजान, फ्रांस और स्विट्जरलैंड के वरिष्ठ राजनयिकों ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।
कॉप30 से जुड़ी वार्ताओं ने इसकी पुष्टि की गई कि बेलेम में आयोजित होने जा रहा कॉप30 निश्चित रूप से एक ऐसा क्षण होना चाहिए, जहां पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग, जो ग्लोबल साउथ के नेतृत्व में हो और जिसे वैश्विक भागीदारों का समर्थन हासिल हो, लोगों और इस धरती के लिए निर्णायक कार्रवाई में बदल जाए।