यूपी में अवैध शराब कारोबारियों पर कसा शिकंजा, अगस्त में 1,995 लोग गिरफ्तार
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Yugvarta
, Sep 04, 2025 07:23 PM 0 Comments
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Lucknow : लखनऊ, 04 सितम्बर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत प्रदेश सरकार ने अवैध शराब के कारोबारियों पर कड़ी कार्रवाई तेज कर दी है। 1 से 31 अगस्त 2025 के बीच प्रदेश में 10,503 अभियोग दर्ज किए गए। इस दौरान लगभग 2.69 लाख लीटर अवैध शराब बरामद की गई, 1,995 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया तथा 351 लोगों को जेल भेजा गया। साथ ही, अवैध शराब की तस्करी में प्रयुक्त 23 वाहनों को जब्त किया गया।
अवैध शराब के खिलाफ प्रदेशव्यापी अभियान की जानकारी देते हुए आबकारी एवं मद्यनिषेध राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नितिन अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी
योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का असर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती से अवैध कारोबारियों में हड़कंप
एक माह में 2.69 लाख लीटर अवैध शराब बरामद
अगस्त में 1,995 लोग गिरफ्तार, 351 भेजे गए जेल, तस्करी में प्रयुक्त 23 वाहन जब्त
10 दिवसीय विशेष प्रवर्तन अभियान 28 अगस्त से 6 सितम्बर तक जारी
अभियान में अब तक 1,587 अभियोग दर्ज, 38,099 लीटर शराब जब्त
अगस्त तक 22,337.62 करोड़ रुपये का आबकारी राजस्व प्राप्त
पिछले वर्ष की तुलना में 3021 करोड़ रुपये अधिक राजस्व अर्जित
अगस्त माह में 3754 करोड़ रुपये का राजस्व, 4.86% की वृद्धि
आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में 28 अगस्त से 6 सितम्बर तक 10 दिवसीय विशेष प्रवर्तन अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत 31 अगस्त तक 1,587 अभियोग दर्ज हुए, 38,099 लीटर अवैध शराब जब्त की गई और 340 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 83 को जेल भेजा गया है। अवैध शराब की ढुलाई में प्रयुक्त तीन वाहन भी जब्त किए गए।
उन्होंने बताया कि इसी नीति के परिणामस्वरूप आबकारी विभाग की आय में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में माह अगस्त तक प्रदेश को 22,337.62 करोड़ रुपये का आबकारी राजस्व प्राप्त हुआ है, जो गत वर्ष की तुलना में 15.64 प्रतिशत अर्थात 3021.41 करोड़ रुपये अधिक है। अगस्त माह में ही 3754.43 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया है।
अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार की कड़ी कार्रवाई और निगरानी के चलते अवैध शराब के कारोबारियों पर लगातार शिकंजा कस रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति ही इस सफलता की सबसे बड़ी वजह है, जबकि विभागीय स्तर पर प्रवर्तन अभियानों ने इसे गति दी है।