नाग पंचमी 2025: 29 जुलाई को शिव योग में नागों की होगी पूजा, जानें तिथि, महत्व और पौराणिक कथा
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Yugvarta
, Jul 27, 2025 10:00 PM 0 Comments
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Lucknow (Desk) :
लखनऊ (डेस्क), 27 जुलाई : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नाग पंचमी इस वर्ष 29 जुलाई, मंगलवार को पड़ रही है। इस बार का पर्व खास इसलिए भी है क्योंकि नाग पंचमी के दिन परम पवित्र, शुभ और सर्वफलदायक शिव योग भी बन रहा है। शिव योग में नाग पंचमी का पड़ना इसे और भी श्रेष्ठ और प्रभावकारी बनाता है। इस शुभ दिन विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान करने से भगवान शिव और नाग देवता दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
भारतीय संस्कृति में नागों का महत्व-
भारत की सनातन संस्कृति में नागों को देवता का स्थान प्राप्त है। नागों की पूजा करना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह शिवभक्ति का भी प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव ने नाग को अपने आभूषण के रूप में धारण किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जो व्यक्ति नागों की पूजा करता है, उसे शिवजी की कृपा सहजता से प्राप्त होती है।
नाग पंचमी पर पूजा का उद्देश्य-
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने का मुख्य उद्देश्य रक्षा, स्वास्थ्य, समृद्धि और जीवन में संतुलन की कामना करना होता है। इस दिन नागों को दूध, पुष्प, कुशा और दूर्वा आदि अर्पित कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
नाग पंचमी की पौराणिक कथा-
इस पर्व से जुड़ी एक प्रचलित कथा महाभारत काल से संबंधित है। कथा के अनुसार, राजा जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए एक महायज्ञ का आयोजन किया, जिसमें असंख्य नाग भस्म होने लगे। तभी आस्तिक मुनि ने अपनी वाणी और तपस्या से जनमेजय को यज्ञ रोकने के लिए राजी किया। उस दिन श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी और तभी से इस तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा।
शास्त्रों में वर्णित प्रमुख नाग-
हिंदू धर्मग्रंथों में अनेक प्रमुख नागों का वर्णन मिलता है जिनमें शेषनाग, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक और अनंत जैसे नाम प्रमुख हैं। भगवान विष्णु शेषनाग की शय्या पर विराजमान होते हैं और भगवान शिव के गले में वासुकी नाग लिपटे रहते हैं। नागों को धरती के गर्भ और जल तत्व का प्रतीक माना गया है। वे प्रकृति और पर्यावरण के संतुलन के रक्षक माने जाते हैं।
पूजा विधि और परंपराएं-
इस दिन प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है और नाग देवता की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। पूजा में मिट्टी, लकड़ी, चांदी या चित्र रूप में नाग की मूर्ति बनाकर दूध, फूल, कुशा और दूर्वा अर्पित किए जाते हैं। कुछ स्थानों पर सांपों को दूध पिलाने की परंपरा भी निभाई जाती है।
ग्रामीण अंचलों में विशेष उत्सव-
ग्रामीण क्षेत्रों में नाग पंचमी बड़े श्रद्धा और उत्साह से मनाई जाती है। कई स्थानों पर महिलाएं घर की दीवारों पर गोबर या गेरू से नाग की आकृति बनाकर उसकी पूजा करती हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर भारत के कई भागों में यह पर्व विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। कई जगहों पर मेले, झांकियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जो इस पर्व की भव्यता को और बढ़ाते हैं।