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संन्यासी से मुख्यमंत्री तक: योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व बना बदलाव की मिसाल
Go Back | Yugvarta News , Jun 05, 2025 08:18 AM
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News Image Lucknow :  -आदित्य अमिताभ त्रिवेदी, युगवार्ता न्यूज़
5 जून, लखनऊ : उत्तर प्रदेश के तेज़-तर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार, 5 जून को अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं, लेकिन वह इसे बाकियों की तरह धूम-धाम से नहीं मनाते। इसके पीछे एक कारण है कि वह नाथ संप्रदाय की परंपरा का पालन करते हैं। सीएम योगी गोरक्षपीठ के महंत से लेकर एक बड़े नेता को रूप में बनकर उभरे, योगी आदित्यनाथ का जीवन एक संन्यासी से लेकर राजनीति के शीर्ष तक पहुंचने का सफर रहा है, जिसमें हर पड़ाव पर उन्होंने अपने कार्यों से नई मिसाल कायम की।

गोरक्षपीठ से राजनीतिक मंच तक

📌 5 जून का ऐतिहासिक संयोग: जन्मदिवस पर सीएम योगी होंगे श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी

🕉️ जन्मदिवस पर श्रीराम का आशीर्वाद:
5 जून 2025 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम अयोध्या के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होने जा रहा है। इस दिन श्रीराम जन्मभूमि परिसर में राजा राम और अन्य देवी-देवताओं की भव्य प्राण प्रतिष्ठा होगी, जिसमें स्वयं मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगे। संयोगवश, यह दिन उनका 53वां जन्मदिन भी है।

🌊 सरयू त्रयोदशी जन्मोत्सव की भी धूम:
अयोध्या में इस दिन सरयू त्रयोदशी जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। सीएम योगी के इस उत्सव में भाग लेने की संभावना है, जहां नदी तट पर विशेष आरती व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

🏗️ 32 हजार करोड़ की परियोजनाएं, विश्वपटल पर चमकी अयोध्या:
पिछले आठ वर्षों में योगी सरकार ने अयोध्या में 32,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं शुरू की हैं। इससे अयोध्या को वैश्विक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान मिली है।

🛕 अयोध्या में नित्य महोत्सव, नित्य सुमंगल:
व्यापार मंडल और स्थानीय नागरिकों के अनुसार, योगी सरकार के कार्यकाल में अयोध्या में लगातार धार्मिक आयोजनों और उत्सवों का माहौल है, जिससे स्थानीय व्यापार भी फला-फूला है।

🗣️ संतों की मुखर प्रशंसा:
संत शशिकांत महाराज ने कहा, “योगी जी ने टाट से प्रभु को निकालकर भव्य मंदिर में विराजमान कराया। आज राजा राम का तिलक एक संन्यासी कर रहा है।”
महंत मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा, “एक संन्यासी मुख्यमंत्री ने आध्यात्मिक मूल्यों को समझा और अयोध्या को ऊर्जावान बना दिया।”

📍 गोरखनाथ मठ से अयोध्या तक गहरा जुड़ाव:
योगी आदित्यनाथ और गोरखनाथ मठ की तीन पीढ़ियाँ राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रही हैं। उनका जुड़ाव न केवल प्रशासनिक बल्कि आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी अयोध्या से अत्यंत गहरा है।

✅ इस विशेष दिन पर जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने जन्मदिवस पर श्रीराम का आशीर्वाद लेंगे, अयोध्या एक ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक युग के साक्षी बन रही होगी।

का संघर्षपूर्ण सफर -

योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में हुआ था। उनके पिता आनंद बिष्ट वन विभाग में अधिकारी थे। बचपन में योगी को अजय सिंह बिष्ट के नाम से जाना जाता था। राम मंदिर आंदोलन के दौरान उनकी भेंट तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ से हुई। इस मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और उन्होंने नाथ पंथ को अपनाने का निर्णय लिया।

गोरखनाथ मंदिर से आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत-

सन् 1993 में योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर पहुंचे और अध्यात्म की शिक्षा ग्रहण करने लगे। उनकी निष्ठा और साधना से प्रभावित होकर महंत अवेद्यनाथ ने 15 फरवरी 1994 को उन्हें गोरक्षपीठ का उत्तराधिकारी घोषित किया। इसके बाद योगी ने लोक कल्याण और सामाजिक समरसता की दिशा में गोरक्षपीठ की गतिविधियों को व्यापक रूप दिया। महंत अवेद्यनाथ के निधन के बाद 14 सितंबर 2014 को वे गोरक्षपीठाधीश्वर बने और जिम्मेदारी को पूरी तरह से निभा रहे हैं।

अध्यात्म से राजनीति में प्रवेश, सबसे युवा सांसद बने-

आध्यात्मिक जीवन के साथ उन्होंने लोक कल्याण के उद्देश्य से राजनीति में कदम रखा और मात्र 26 वर्ष की आयु में देश के सबसे कम उम्र के सांसद बने। इसके बाद वे लगातार पांच बार गोरखपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इस दौरान उन्होंने जनहित के मुद्दों पर मुखर होकर अपनी अलग पहचान बनाई।

2017 में पहली बार सीएम, 2022 में दोबारा रचाया इतिहास-

योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक सूझबूझ को देखते हुए 2017 में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व ने उन्हें उत्तर प्रदेश की बागडोर सौंपी। उनके कार्यकाल में प्रदेश ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाकर जनता ने एक बार फिर उनके नेतृत्व पर भरोसा जताया। इस बार वह पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और एक लाख से अधिक मतों से जीतकर अपनी अपराजेय लोकप्रियता का प्रमाण दिया। इसके साथ ही वह देश के सबसे बड़े राज्य के दोबारा मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता बनकर इतिहास में दर्ज हो गए।

नाथपंथी अनुशासन, अटल नेतृत्व और विकास का प्रतीक-

योगी आदित्यनाथ न सिर्फ नाथ परंपरा के अनुशासन को निभा रहे हैं बल्कि जनसेवा के अपने संकल्प को भी पूरी निष्ठा से पूरा कर रहे हैं। आध्यात्मिक गहराई और राजनीतिक दृढ़ता का यह संगम उन्हें एक विशेष पहचान दिलाता है, जो आज उत्तर प्रदेश की दिशा और दशा को निर्णायक रूप से प्रभावित कर रहा है।
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