जब तक द्विराष्ट्रवाद का भूत रहेगा, आतंक का खतरा बना रहेगा: मोहन भागवत
Go Back |
Yugvarta
, Jun 05, 2025 09:56 PM 0 Comments
0 times
0
times
Nagpur :
नागपुर, 5 जून : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन समारोह के अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया और देश को शांति एवं खुशहाली का संदेश दिया। नागपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि “समाज में बिना वजह झगड़ा ठीक नहीं है। इससे शांति और सौहार्द दोनों प्रभावित होते हैं।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “एक दूसरे के साथ सद्भावना और सदविचार से रहना आवश्यक है। देश के नाते, समाज के नाते हम एक हैं।”
भागवत ने कहा कि “संघ किसी का विरोध करने में विश्वास नहीं करता है और उसे विश्वास है कि किसी दिन संघ के कार्य का विरोध करने वाला कोई भी व्यक्ति संघ में शामिल हो जाएगा।” उन्होंने बताया कि बीते 100 वर्षों में संघ ने उपेक्षा और उपहास से लेकर जिज्ञासा और स्वीकार्यता तक का सफर तय किया है।
आत्मनिर्भर सुरक्षा व्यवस्था और आतंक पर सख्त रुख-
सरसंघचालक मोहन भागवत ने हालिया घटनाओं पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि “हमें अपनी सुरक्षा के मामले में ‘स्व’ निर्भर होना चाहिए।” पहलगाम की नृशंस घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “उसके बदले में कुछ कार्यवाही हुई। उसमें अपनी सेना की वीरता फिर से चमक उठी। शासन प्रशासन की दृढ़ता भी दिखी। राजनीतिक वर्ग में भी आपसी सूझबूझ दिखाई दी। समाज ने भी अपनी एकता का संदेश दिया।”
भागवत ने यह भी कहा कि “यह सभी बातें और भाव चिरस्थाई रहना चाहिए। जब तक द्विराष्ट्रवाद का भूत क़ायम है तब तक आतंक का खतरा बना रहेगा।”
कार्यकर्ता विकास वर्ग का उद्देश्य-
अपने संबोधन में भागवत ने कार्यकर्ता विकास वर्ग की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “कार्यकर्ता विकास वर्ग स्वयंसेवकों के लिए उनकी समझ, क्षमता और सामर्थ्य बढ़ाने के लिए एक प्रशिक्षण शिविर है। फिर वे राष्ट्रीय जीवन के विभिन्न आयामों में राष्ट्र निर्माण, चरित्र निर्माण और समाज को संगठित करने में समय और प्रयास लगाते हैं।”
धर्मांतरण पर गहराया मंथन, अरविंद नेताम ने जताई चिंता-
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अरविंद नेताम रहे। उन्होंने स्वयंसेवकों को अपने सार्वजनिक जीवन के अनुभवों से अवगत कराया और विशेष रूप से देश में बढ़ती धर्मांतरण की समस्या पर चिंता व्यक्त की। नेताम ने कहा, “संघ और समाज मिलकर ही इस कन्वर्जन की समस्या का निदान कर सकते हैं। हम सभी यहीं के हैं, इसी माटी के हैं, कोई बाहर का नहीं है। धर्मांतरण बड़ी चुनौती है। संघ से बड़ी अपेक्षा है। इसमें संघ को रफ़्तार बढ़ानी होगी।”
उन्होंने बस्तर क्षेत्र की स्थिति को लेकर कहा कि “बस्तर नक्सल और धर्मांतरण से जूझ रहा है।”
कार्यक्रम में अतिथि बनाए जाने पर उन्होंने आभार प्रकट करते हुए कहा, “मैं संघ और सरसंघचालक को आभार व्यक्त करना चाहता हूँ कि मुझे मुख्य अतिथि के रूप में सम्मान दिया। मैं पहली बार आया हूं। यहां मुझे बहुत कुछ समझने के लिए मिला।”
संघ का शताब्दी वर्ष और राष्ट्र निर्माण में योगदान-
अरविंद नेताम ने अपने संबोधन के अंत में कहा, “ये संघ का शताब्दी वर्ष है। संघ ने देश की एकता, अखंडता और समरसता के लिए बहुत बड़ा काम किया है।”