Dehradun : देहरादून, 12 मई । मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सोमवार को उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों तथा सेना व पैरा मिलिट्री फोर्सेज के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक में वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए भविष्य के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाने तथा विभिन्न आपदाओं के समय त्वरित व प्रभावी रिस्पांस करने सहित अन्य विषयों पर चर्चा हुई। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों तथा एजेंसियों की आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने कहा कि उत्तराखण्ड सामरिक• विभागों के साथ बेहतर समन्वय के प्रयास किए जाएं: आपदा प्रबंधन, पुलिस, स्वास्थ्य, लोक निर्माण, पेयजल, विद्युत, अग्निशमन, परिवहन, आईटी, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ आदि के मध्य समन्वय अत्यावश्यक।
• राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र बनेगा मुख्य कंट्रोल रूम: सभी विभागीय कंट्रोल रूम नियमित रूप से एसईओसी को सूचनाएं साझा करें।
• साइबर वॉरफेयर पर निगरानी: आईटी विभाग को एलर्ट रहने के निर्देश, संचार व्यवस्था मजबूत करने पर जोर।
• फेक न्यूज पर रखें नजर: सूचना व पुलिस विभाग को निर्देश, भ्रामक पोस्ट करने व फैलाने वालों पर होगी वैधानिक कार्यवाही।
• फायर हाइड्रेंट्स की जांच: कमिश्नर गढ़वाल व कुमाऊं को समुचित कार्यवाही के निर्देश।
• सिविल डिफेंस कंट्रोल रूम की स्थापना एसईओसी में: बेहतर समन्वय हेतु सिविल डिफेंस के हॉटलाइन नंबर को एसईओसी से जोड़ने के निर्देश।
• महत्वपूर्ण संरचनाओं की सुरक्षा ऑडिट: हेलीपैड, एयरपोर्ट व बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, आवश्यकतानुसार पुलिस में भर्ती हो।
• संसाधनों की जानकारी एसईओसी को: जीआईएस बेस्ड डाटाबेस निर्माण के निर्देश।
• एटीएफ की उपलब्धता: वायुसेना के विमानों के लिए हेलीपैड में ईंधन की सुविधा सुनिश्चित हो।
• जनजागरूकता और समुदायों की सहभागिता: SOP और एडवाइजरी जारी हो, मॉक ड्रिल नियमित हो, नागरिक रहें सतर्क।
दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण और संवेदनशील है। राज्य की सीमाएं चीन और नेपाल से लगी हैं, इसलिए सतर्कता और पुख्ता तैयारी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए यह आवश्यक है कि सिविल डिफेंस के दायरे को प्रदेश के अन्य जनपदों में भी विस्तारित किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में अभी सिर्फ जनपद देहरादून ही सिविल डिफेंस जनपद के रूप में अधिसूचित है। उन्होंने सचिव गृह को प्रदेश के ऐसे जनपदों तथा क्षेत्रों को चिन्हित करने को कहा जिन्हें सिविल डिफेंस के रूप में नोटिफाई किया जा सकता है। उन्होंने इसे लेकर शीघ्र प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि किसी भी प्रकार की आपदा तथा वर्तमान परिदृश्य की पुनरावृत्ति होने की स्थिति में यह आवश्यक है कि प्रत्येक स्तर पर तैयारी को पुख्ता रखा जाए। हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि सिविल एडमिनिस्ट्रेशन तथा सेना व अन्य फोर्सेज के साथ आपसी समन्वय तथा तालमेल बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि निरंतर रूप से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाए, जिससे यह पता चलता रहे कि किन-किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष में कम से कम तीन बार इस तरह की अंतर विभागीय बैठक आयोजित की जाए। इस दौरान उन्होंने बेहतर समन्वय के लिए विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारियों, सेना, वायु सेना और अर्द्धसैनिक बलों के वरिष्ठ अधिकारियों का वाट्सएप गु्रप बनाने तथा सभी विभागों तथा एजेंसियों को सिंगल प्वाइंट कांटेक्ट नामित करने के निर्देश दिए।
बैठक में उपस्थित अधिकारी:
प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, डिप्टी जीओसी सब एरिया आर.एस. थापा, प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम, सचिव गृह शैलेश बगौली, सचिव नितेश कुमार झा, सचिव कुर्वे, सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार, महानिदेशक नागरिक सुरक्षा डॉ. पी.वी.के. प्रसाद, कमिश्नर गढ़वाल विनय शंकर पाण्डेय, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन, आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप, महानिरीक्षक आईटीबीपी संजय गुंज्याल, आईजी एसडीआरएफ अरुण मोहन जोशी, आईजी अग्निशमन एवं आपात सेवाएं मुख्तार मोहसिन, महानिदेशक सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग बंशीधर तिवारी, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनन्द स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून अजय सिंह, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी आदि।