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योगी सरकार का कन्या जन्मोत्सव कार्यक्रम पूरे देश के लिए बना नजीर
Go Back | Yugvarta , Jan 24, 2025 05:17 PM
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लखनऊ, 24 जनवरी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और निर्देशन में 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना के तहत शुरू की गई कन्या जन्मोत्सव पहल ने पूरे देश में मिसाल कायम की है। उत्तर प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस पहल के तहत कुल 3,822 कार्यक्रम आयोजित कर 35,489 लड़कियों के जन्म का जश्न मनाया। इस अद्वितीय उपलब्धि की केंद्र सरकार ने जमकर सराहना की और इसे अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय मॉडल बताया। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में केंद्र सरकार ने यूपी की इस पहल को बेहतरीन कार्यप्रणाली का उदाहरण बताते हुए अन्य राज्यों से इसे अपनाने की अपील की।

उत्तर प्रदेश में 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' (बीबीबीपी) अभियान का मुख्य उद्देश्य सामाजिक मानसिकता में बदलाव लाना है। यह पहल केवल एकल आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सतत सामाजिक परिवर्तन प्रक्रिया है। इसके माध्यम से सामूहिक जवाबदेही और सांस्कृतिक परिवर्तन को बढ़ावा दिया जाता है। लड़कियों के जन्म का जश्न मनाकर यह कार्यक्रम लैंगिक पूर्वाग्रहों को चुनौती देता है और समावेशिता तथा समानता को प्रोत्साहित करता है। सीएम योगी की इस पहल ने समाज में लड़कियों को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने और मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य किया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से एक ऐसा वातावरण तैयार किया गया है जो लड़कियों के जन्म का उत्सव मनाता है और जीवन के हर पहलू में लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है।

सामाजिक भागीदारी को प्रोत्साहित कर आगे बढ़ी योगी सरकार-
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पहल के माध्यम से परिवारों और समुदायों को सक्रिय रूप से शामिल किया है। कार्यक्रम के तहत सामाजिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया, ताकि बालिका के महत्व को सामाजिक मानदंडों और दैनिक व्यवहारों में शामिल किया जा सके। यह सुनिश्चित किया गया कि लैंगिक समानता एक गहरी अंतर्निहित और स्थायी सांस्कृतिक प्रथा बन जाए। इस कार्यक्रम में पिता, भाई, समुदाय के गणमान्य और जन प्रतिनिधियों को शामिल किया गया। इसका उद्देश्य पितृसत्तात्मक मानसिकता को समाप्त करना और लैंगिक समानता के लिए सामूहिक जवाबदेही को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही, डब्ल्यूसीडी, स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायती राज और स्थानीय प्रशासन के प्रयासों को एकीकृत किया गया, जिससे कार्यक्रम का प्रभाव और पहुंच अधिकतम हो सके।

नियमित गतिविधियों के माध्यम से प्रदेश में आगे बढ़ा कन्या जन्मोत्सव कार्यक्रम-
हर महीने के पहले और तीसरे सोमवार को जिला, ब्लॉक और गांव स्तर पर नियमित गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। यह दोहराव लैंगिक समानता के संदेश को सामान्य बनाता है। साथ ही, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, शिक्षक, सरकारी अधिकारी और समुदाय के सदस्य बालिकाओं के मूल्य को सुदृढ़ करने के लिए सुसंगत संदेश सुनिश्चित करते हैं।

कन्या जन्म पर गिफ्ट देकर मनाया जाता है कन्या जन्मोत्सव-
कार्यक्रम के अंतर्गत नवजात बच्चियों को बधाई कार्ड, बेबी किट, ऊनी कपड़े, मिठाइयां और बर्थडे केक देकर उनके जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इसके साथ ही जन प्रतिनिधियों और सामुदायिक गणमान्यों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाती है। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना और नियमित टीकाकरण तथा पोषण कार्यक्रमों को इस पहल में शामिल किया गया है।

उत्तर प्रदेश के महिला कल्याण विभाग के उपनिदेशक आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में अब तक कुल 3,822 कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनमें 35,489 लड़कियों के जन्म का जश्न मनाया गया। 6 फरवरी 2023 को राज्य में एक साथ 95 कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 1,707 लड़कियों के जन्म का उत्सव मनाया गया। इस पहल की संरचना और इसके मापनीय प्रभाव ने इसे अन्य राज्यों और क्षेत्रों के लिए प्रेरणास्रोत बना दिया है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसे उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में नियमित रूप से मनाने को संस्थागत रूप दिया है।

बालिकाओं के प्रति सम्मान और जागरूकता को दिया जा रहा बढ़ावा-
योगी सरकार अन्य गतिविधियों के माध्यम से समाज में बालिकाओं के प्रति सम्मान और जागरूकता को बढ़ावा दे रही है। इसमें मेधावी लड़कियों को एक दिन के लिए प्रशासनिक अधिकारी (डीएम, सीडीओ) का प्रतीकात्मक प्रभार दिया जाता है। इसका उद्देश्य लड़कियों को प्रशासनिक सेवाओं की ओर आकर्षित करना है। यह कार्यक्रम जिला, ब्लॉक और गांव स्तर पर आयोजित किया जाता है। कन्या जन्मोत्सव पहल ने समाज में बालिकाओं के प्रति सम्मान और जागरूकता को बढ़ावा दिया है। योगी सरकार की इस अनूठी पहल ने न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में एक सकारात्मक संदेश दिया है। यह कार्यक्रम सामाजिक बदलाव की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है और अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना है।
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