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पांच कारणों से शेख हसीना को छोड़नी पड़ी गद्दी, बांग्लादेश छोड़ विदेश में लेनी पड़ रही शरण
Go Back | Yugvarta , Aug 05, 2024 09:39 PM
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News Image New Delhi : 
-युगवार्ता न्यूज़ एजेंसी
शेख हसीना को बांग्लादेश में बिगड़ते हालात के बीच इस्तीफा देने और देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। खबरें हैं कि वह अब विदेश में किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंच चुकी हैं। यहां वे पांच कारण बताए जा रहे हैं जिनकी वजह से शेख हसीना की लोकप्रियता में गिरावट आई और अंततः उनकी सरकार को गिरावट का सामना करना पड़ा।
1)असहमति की आवाज़ों का दमन-
शेख हसीना के शासनकाल के दौरान विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दमन और असहमति को दबाने की घटनाएं आम हो गई थीं। विरोध प्रदर्शनों में सरकार की प्रतिक्रिया विशेष रूप से हिंसक रही है, जिसमें प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग की खबरें आईं।
2)लोकतांत्रिक मानदंडों का ह्रास-
हसीना की सरकार पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगा है। उनके कार्यकाल के दौरान चुनाव धांधली और हिंसा के आरोपों से घिरे रहे हैं। प्रमुख विपक्षी दलों ने निष्पक्षता पर चिंताओं के कारण चुनावों का बहिष्कार कर दिया, जिससे जनता में गुस्सा और बढ़ गया।
3)मानवाधिकार उल्लंघन-
हसीना की सरकार के तहत मानवाधिकारों के उल्लंघन की कई रिपोर्टें
आई हैं। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इन दुर्व्यवहारों का दस्तावेजीकरण किया है, जिसके परिणामस्वरूप पश्चिमी देशों ने कुछ सुरक्षा बलों के खिलाफ प्रतिबंध भी लगाए हैं।
4)नौकरियों में आरक्षण का विवाद-
हाल में शेख हसीना सरकार ने नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारवालों को कोटा दिया, जिससे छात्रों का गुस्सा भड़क गया। विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया और व्यापक हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं।
5)मीडिया सेंसरशिप-
हसीना प्रशासन पर प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का आरोप है। सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों और मीडिया आउटलेट्स को उत्पीड़न, कानूनी कार्रवाई या शटडाउन का सामना करना पड़ा, जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
शेख हसीना की गिनती एक "चतुर" राजनीतिज्ञ के रूप में होती है, लेकिन अब उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में याद किया जाएगा जो जनादेश के बजाय दमन के जरिए सत्ता में बनी रहीं और अंततः अलोकप्रियता के कारण देश से भागना पड़ा।
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